प्रश्न – इसमें प्रमाण क्या है कि इस जन्म के कर्म इसी जन्म में फल देते हैं?
उत्तर- अविद्यादि क्लेषों से युक्त होकर किये गए कर्मों का फल वर्त्तमान तथा अगले जन्म में भोगने योग्य होता है।
-योग दर्शन २//१२
(२) जो व्यक्ति, विद्वानों, वृद्धों की विनम्रता से, श्रद्धा से सेवा आदि करते हैं, उनकी आयु, विद्य़ा, कीर्ति और बल ये चार सदा बढ़ते हैं।
-मनु-स्मृति २//७८
हम देवों का सत्संग करें जिससे हमारी आयु बढ़े।
-यजुर्वेद २५//१५
तीव्र शुभ कर्म इसी जन्म में पक कर शीघ्र ही फल देते हैं, इसमें योगदर्शन २//१२ के व्यासभाष्य में भी एक प्रमाण मिलता है-
उनमें से तीव्र वेग से मंत्र, तप, समाधियों के द्वारा सम्पादित अथवा ईश्वर, देवता, महर्षि महानुभावों की आराधना से सम्पादित जो पुण्य कर्माशय है, वह शीघ्र फल देता है।
इसी प्रकार तीव्र क्लेष के द्वारा भीत, रुग्ण, कृपापात्रों वा विश्वस्त महानुभावों अथवा तपस्वियों के प्रति बार-बार किया गया अपकार, वह पापकर्माशय भी शीघ्र फल देता है।
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